Rajesh rajesh

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लेखनी कहानी -04-Mar-2024 गरीबी अभिश्राप

राजा उदय सिंह और उसकी रानी को जीवन में तब सच्ची खुशी महसूस होती है जब 12 बरस के विवाह के बाद उनके घर पुत्र का जन्म होता है।


राज कुमार के जन्म के बाद राजा उदय सिंह दिवाली का त्यौहार न होने के बावजूद पूरे राज्य को दिवाली जैसे दीपकों की रोशनी से जगमगा देता है और उस दिन कोई भी भूखा ना रहे, इसलिए पूरे राज्य में खाने-पीने की व्यवस्था कर देता है।

उस दिन राजा उदय सिंह और उसकी रानी सुबह से गरीबों को दान पुण्य करते हैं और शाम को दान देने वालों में की पंती में एक सिद्ध साधु को देखकर अपने सिपाहियों से कहता है "उन साधु महाराज को सीधे मेरे पास लेकर आओ उन्हें साधारण प्रजा की पंती में मत खड़ा रखो।"

सिद्ध साधु महाराज और महारानी के पास आकर कहता है "महाराज मुझे आपसे धन दौलत कुछ भी नहीं चाहिए, मैं तो बस एक बार राजकुमार का मुखड़ा देखना चाहता हूं।"

महाराज उदय सिंह तुरंत दासियों को आदेश देकर अपने पुत्र को वहां बुलवाता है महारानी कि से गोदी राजकुमार को लेकर सिद्ध साधु कहता है "महाराज आपका पुत्र बहुत ज्ञानी बुद्धिमान राजा बनेगा राजकुमार के जीवन में धन दौलत की कभी भी कमी नहीं रहेगी लेकिन।"

लेकिन शब्द सुनकर राजा उदय सिंह महारानी दोनों घबरा जाते हैं और पूछते हैं? "लेकिन क्या महाराज।"

"कभी भी अपने पुत्र के सामने जीवन की कोई बड़ी सच्चाई का जिक्र नहीं करना वरना आपका पुत्र उस सच्चाई के परिणाम से इतना घबरा जाएगा की यह अपना मानसिक संतुलन भी हो सकता है।" सिद्ध साधु बताता है 

"महाराज जीवन की किस तरह की सच्चाई।" राजा रानी पूछ्ते है?

"जैसे मृत्यु एक अटल सत्य है, गरीबी अभिश्राप है आदि।" यह कहकर साधु राजकुमार को अपनी गोदी से महारानी की गोदी में वापस देकर वहां से चला जाता है।

महाराज महारानी सिद्ध साधु की यह बात सुनकर बेचैन हो जाते हैं इसलिए वह उसी समय अपने महामंत्री को आदेश दे देते हैं कि "आज के बाद युवराज के सामने कोई भी जीवन की किसी भी सच्चाई किसी भी बात नहीं करेगा।"

एक दिन युवराज अपने पिता महाराज उदय सिंह के साथ भरे दरबार में बैठा हुआ था तभी राजा का एक मंत्री आकर कहता है "महाराज हमारे राज्य पर  बहुत बड़ा आर्थिक भयानक संकट आने वाला है, हमारा खजाना इस गरीबी के संकट से खाली हो जाएगा, क्योंकि आधे राज्य में अकाल पड़ गया है और आधे राज्य की फसल बाढ़ से बर्बाद हो गई है, हमारे राज्य के नागरिक आलसी और कामचोर हो गए हैं, इसलिए वह मेहनत करने की जगह चोरी चाकारी करके अपना पेट भरने को आसान काम समझने लगे हैं।"

महामंत्री की यह बात सुनकर युवराज सर पड़कर चिल्लाने लगता है और राज्यसभा से उठकर भाग जाता है सिर्फ बस एक ही बात चिल्ला चिल्ला कर दोहराता है कि "हमारे राज्य में गरीबी का संकट आने वाला है इससे बचना असंभव है।"

और अपना घोड़े पर बैठकर जंगल की तरफ भाग जाता है। राजकुमार को भागते भागते वही सिद्ध साधु तपस्या करते हुए मिल जाता है राजकुमार अपने घोड़े से उतारकर उस सिद्ध साधु के पैर पड़कर रो-रो कर कहता है "साधु महाराज आप अपनी शक्ति से हमारे राज्य को बचा लो, क्योंकि हमारे राज्य पर गरीबी का संकट आने वाला है।" 

सिद्ध साधु आंखें खोल कर देखता है तो समझ जाता है कि मेरी भविष्यवाणी की महाराज उदय ने अवहेलना की इस वजह से उनका पुत्र अपना मानसिंह संतुलन खो बैठा है।

सिद्ध साधु राज्य के नागरिक होने का फर्ज निभाते हुए युवराज को शांति से अपने पास बिठाकर समझता हैं कि गरीबी के संकट को खत्म करने का सबसे आसान तरीका ईमानदारी से मेहनत करना है जो मनुष्य मेहनत से नहीं डरता उसका गरीबी कुछ भी नहीं बिगाड़ पाती है। 

समाप्त 

प्रतियोगिता हेतु 

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3 Comments

Gunjan Kamal

13-Mar-2024 11:12 PM

शानदार

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Varsha_Upadhyay

08-Mar-2024 09:52 AM

Nice

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Mohammed urooj khan

04-Mar-2024 09:50 PM

👌🏾👌🏾👌🏾👌🏾

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